उत्तराखंड- नैनीताल- शांत रहने वाली पहाड़ की वादियां अब मुजरिमों के लिए अपने गुनाहों को छुपाने का अड्डा बन गई है. हत्या कर शवों को ठिकाने लगाने के लिए अपराधी अब पहाड़ों का रुख कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक बीते एक साल में मंडल भर में 94 अज्ञात शवों को बरामद किया गया है. जो कि पुलिस के लिए भी एक पहेली बनी हुई है. बताया जा रहा है, कि इन शवों में से 50 फीसद शव सिर्फ नैनीताल से ही बरामद किए गए हैं. जो कि पुलिस की चेकिंग अभियान और अपराध नियंत्रण के दोवों को आईना दिखा रहे हैं.
कोरोना संक्रमण के कारण बाहरी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई गई थी. जिससे आपराधिक गतिविधियों पर विराम लगने की संभावनाएं जताई जा रही थी. लेकिन ये शांतपहाड़ियां अपराधियों को कुछ ज्यादा ही भा गई थी. आईजी कार्यालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक मंडल भर में बीते साल जनवरी से दिसम्बर तक 94 अज्ञात शव बरामद के गए हैं. जिसमें से केवल 25 लोगों की ही शिनाख्त हो पाई है.

पुलिस के लाख दावों के बाद भी जिले में लाशें मिलने का सिलसिला नहीं थम रहा है. वहीं इन लाशों की शिनाख्त भी पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. बीते साल जिले में 52 अज्ञात शव बरामद किए गए, जिसमें से 11 की ही शिनाख्त हो पाई. वहीं बागेश्वर में एक भी शव बरामद नहीं हुआ.
पहाड़ों में अपराध नियंत्रण को लेकर पुलिस दावे तो खूब कर रही है, लेकिन अपराध के बढ़ते आंकड़ें और लगातार मिल रहे शव पुलिस के दावों की पोल खोल रही है. चौराहे और बॉर्टरों पर होने वाली चैकिंग महज चालानी कार्रवाई तक ही सिमट कर रह गई है.

जिलों से बरामद शव और शिनाख्त
ऊधमसिंहनगर- 32- 10
नैनीताल- 52- 11
पिथौरागढ़- 02- 02
चंपावत- 07- 01
अल्मोड़ा- 01- 01
कुमाऊं के आईजी अजय रौतेला का कहना है, कि पुलिस अपराध नियंत्रण के लिए बॉर्डरों पर सघन चेकिंग अभियान चलाया जाता है. इसके अलावा अज्ञात शवों की शिनाख्त के लिए ऑपरेशन शिनाख्त भी चलाया जाता है. कोविड के चलते अभियान में थोड़ी सुस्ती आयी हे, लेकिन जल्द ही अभियान फिर से शुरु किए जाएंगे.
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